भक्ति गीत
तुम हो मेरे कृष्ण जगतपति
तुम हो मेरे कृष्ण जगतपति
में तुम्हें चाहता हूँ दिवाराति ।
तुम अलख निरंजन पूर्ण जयोति
मैं जुग्नू की जोत् क्षुद्र अति ।।
तुम हो सृष्टि में आदि अनन्त
कभी कराल भयाल, कभी दयाल प्रशान्त ।
एक हँसी से मुम्हारी विश्व बेचैन
खुशी से तुम्हारी झुमे जलधि ।।
तुम्हारे साथ मेरी तुलना नहीं,
तुम्हारी उपमा तुम हो सही।
मैं स्त्रोतों का फूल बह रहा था,
तूने मुझे उठाकर सुनाई गीति ।।
मालिक हो मेरे
मालिक हो मेरे दिल के आरस पे बसो जी,
नव चक्र की कलियॉं खिल रही हैं
उनकी खुश्बू से रमते रहो जी ।।
तुम हो सारे जहॉं में जंगल-खोह-आसमॉं में
मैं भी हूँ तुम्हारी जिस्मानी जमीं में,
इस छोटे संरेजे को भी ना बिसराना जी ।।
परस्ती तुम्ही हो तरक्की भी तुम्ही हो,
आता हूँ, जाता हूँ, मंजिल तुम्ही हो,
बढ़ता हूँ गिरता हूँ देखते रहे हो,
नज़र की यह बुलँदी जारी रखों जी ।।
रूहानी यह रौशनी बुझानी नहीं है
रूहानी यह रौशनी बुझानी नहीं है,
आसमॉं जगाये सितारें जगायें।
क्या यह रौशनी जगायी नहीं है ।।
मुहब्बत की झलक से तूने क्यश कर दिया,
इनसानियत की चमक से दोजख हटा दिया ।
जलवा की करामत जहॉं जान दिया है,
वेहस्त की बुलबुलें हमेशा गा रही है ।।
दया की बदौलत दुनिया झुम रही है,
नजर की यह शराफत जिन्दगी भर रही है ।
ये रूहानी परस्तियॉं तुम्ही ने दी है,
गुलबाग की इन कलियों से तुझे रिझाना है ।।
जादू नगरीया से आया है एक जादुगर
जादू नगरीया से आया है एक जादुगर ।
दरिया में देखों धार कया मुहब्बत क्या जिगर ।
नाचे जहॉं समुन्दर फूलों पे मधुकर ।।
तू ने यह क्या किया सोये दिल खिला दिया,
रूहानी खामोशी करीब लाया गुँज रहा है घर बाहर ।।
जाते हो कहॉ, रहते हो कहॉ
जाते हो कहॉं, रहते हो कहॉं,
कहॉं पर करते हो खाना-पीना ।
मेरे दिल के अरश पे मालिक बस जाना ।।
इस जहॉं पे तुम्हारी खुली नज़र,
दिल दिलके नज़राना तुम्हारे पर ।
आते हो जाते हो जो चाहे जिगर
खुला रहे कुदरत का खजाना ।।
यह जिन्दगी है रहमान तुम्हारे लिये,
यह मनना है तुम्हारे हम हो गये ।
तकदिर तदवीर दोनों मिलजुल गये
यह जलवा यह फजल वताये जाना ।।
पाने को प्यासी हैं ।।
वृन्दावन के वन वन में
व्रजवासी के मन मन में ।
यमुना के काले नीर में,
एक मोहन ही रमता है ।।
धेनु चले तुम्हारी खोज में,
वेणु बोले लुम्हारी आश में ।
कोयल रोये खोने की लाज में
बिना चॉंद अँधेरा है ।।
आवाज़ में तुम नकीव हो जी आसमॉं में तुम हो सितारे ।।
पैदाइश से मौत तक तुम दोजख और वेहस्त में भी तुम ।
एक होते भी मचाये धुम जिनके जिगर जिस्म जहॉं सारे ।।
हम नहीं किसी के मुलाम करते हैं सिर्फ तुझे सलाम ।
मानते हैं सिर्फ एक ही कलाम जो खुदाइ मुहब्बत सहारे ।।
मैं बंदा हूँ तुम्हारा, आलमगीर तुमही प्यारा ।।
आफताब जो रौशनी डालता, गुलबाग जो खुश्बू लाता ।
दिल में जो समाता तुमहो वह सितारा ।।
खुशीयाली में तुम हो मुशीबत दर्द में तुम हो
रुह के आरस पे तुम हो मुहब्बत का ऑसू मेरा ।।
अँखियॉ तुम्ही को चाहती हैं
अँखियॉं तुम्ही को चाहती हैंपाने को प्यासी हैं ।।
वृन्दावन के वन वन में
व्रजवासी के मन मन में ।
यमुना के काले नीर में,
एक मोहन ही रमता है ।।
धेनु चले तुम्हारी खोज में,
वेणु बोले लुम्हारी आश में ।
कोयल रोये खोने की लाज में
बिना चॉंद अँधेरा है ।।
फुलों में तुम शहद हो जी दिनों में तुम रूह हो प्यारे
फुलों में तुम शहद हो जी दिनों में तुम रूह हो प्यारे ।आवाज़ में तुम नकीव हो जी आसमॉं में तुम हो सितारे ।।
पैदाइश से मौत तक तुम दोजख और वेहस्त में भी तुम ।
एक होते भी मचाये धुम जिनके जिगर जिस्म जहॉं सारे ।।
हम नहीं किसी के मुलाम करते हैं सिर्फ तुझे सलाम ।
मानते हैं सिर्फ एक ही कलाम जो खुदाइ मुहब्बत सहारे ।।
जमीं आसमॉ तुम्हारा तुम्हारा जहॉ सारा
जमीं आसमॉ तुम्हारा तुम्हारा जहॉ सारा ।मैं बंदा हूँ तुम्हारा, आलमगीर तुमही प्यारा ।।
आफताब जो रौशनी डालता, गुलबाग जो खुश्बू लाता ।
दिल में जो समाता तुमहो वह सितारा ।।
खुशीयाली में तुम हो मुशीबत दर्द में तुम हो
रुह के आरस पे तुम हो मुहब्बत का ऑसू मेरा ।।
बाबा नाम केवलम 🙏🌹👨👨👧👧🙏
जवाब देंहटाएं