आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी(सन् 1864-1938 ई.)

द्विवेदी जी का साहित्य -क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। हिन्दी के अतिरिक्त उन्होंने अर्थशास्त्र, इतिहास, वैज्ञानिक आविष्कार, पुरात्तव, राजनीति तथा धर्म आदि विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। उनके साहित्यिक कार्यक्षेत्र को प्रधानत: चार वर्गों में रखा जा सकता है- भाषा संस्कार, निबन्ध-लेखल, आलोचना तथा आदर्श साहित्यिक पत्रकारिता।
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की प्रमुख कृतियॉं है-
काव्य संग्रह-
- काव्य मंजूषा
- कविताकलाप
- सुमन
निबन्ध- द्विवेदी जी के उत्कृष्ट कोटि के सौ से भी अधिक निबन्ध जो 'सरस्वती' तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
अनुवाद- द्विवेदीजी उच्चकोटि के अनुवादक भी थे। उन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी, दोनो भाषाओं में अनुवाद किया।
- कुमारसम्भव
- बेकन-विचारमाला
- मेघदूत
- विचार-रत्नावली
- स्वाधीनता
आलोचना-
- नाट्यशास्त्र
- हिन्दी नवरत्न
- रसज्ञरंजन
- वाग्विालास
- विचार-विमर्श
- कालिदास की निरंकुशता
- साहित्य-सौन्दर्य
सम्पादन- सरस्वती मासिक पत्रिका
भाषा-शैली- द्विवेदी जी ने साधारणतयासरल और व्यावहारिक भाषा को अपनाया है। उन्होंने अपने निबन्धों में परिचात्मक आलोचनात्मक गवेषणात्मक वयंग्यात्मक तथा समास आदि शैलियों का प्रयोग किया। कठिन-से-कठिन विषय को बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करना उनकी शैली की सबसे बड़ी विशेषता है।
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी युग-प्रवर्त्तक साहित्यकार है। हिन्दी गद्य की विकास-यात्रा में उनका ऐतिहासिक महत्तव है। गद्य-निर्माता के रूप में उनका अप्रतिम स्थान है। खड़ी बोली को काव्यभाषा के रूप में स्थापित करने का श्रेय भी द्विवेदी जी को है
We should be there in Hindi book in my phone
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंhttps://www.physicsfanda.co.in/2018/07/blog-post.html?m=1
Toogood and nice
जवाब देंहटाएंvery nice
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