रामवृक्ष बेनीपुरी
रामवृक्ष बेनीपुरी(सन् 1902-1968 ई.)

साहित्यिक परिचय- बेनीपुरी जी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्य-सेवी थे। इन्होंने कहानी, नाटक, उपन्यास, रेखाचित्र, यात्रा-विवरण, संस्मरण एवं निबन्ध् आदि गद्य-विधाओं में विपुल साहित्य की रचना की। पन्द्रह वर्ष की अल्पायु से ही इन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में लिखना प्रारम्भ किया था। पत्रकारिता तो इनकी साहित्य-साधन के मूल में थी। बिहार में हिन्दी-प्रसार का कार्य इनके निर्देशन में बड़ी सक्रियता से चलता रहा
। 'बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन' की स्थापना में भी इनका विशेष योगदान रहा। इनके क्षरा लिखे गये रेखाचित्र एवं यात्रा-वर्णन हिन्दी-साहित्य में बेजोड़ है। इनका पूरा सहित्य 'बेनीपुरी ग्रन्थावली' के रूप समें कई खण्डों में प्रकाशित हो चुका है।
कृतियाँ- बेनीपुरी जी की प्रमुख कृतियॉं है।
उपन्यास- पतितों के देश में
कहानी-संग्रह- चिता के फूल
निबन्ध-संग्रह- गेहूँ और गुलाब, मशाल, वन्दे वाणी विनायाको- इनके निबन्धों में प्रतीकात्म्क भाशा की चित्रात्मकता अधिक पायी जाती है।
रेखाचित्र- माटी की मूरतें (में श्रेष्ठ रेखाचित्रों का संग्रह है। इसकी सामग्री से बिहार के जन-जीवन को पहचाना जा सकता है।), लाल तारा,
संस्मरण- मील के पत्थर तथा जंजीर की दीवारें में भावनात्म्क शैली में लेखक ने अपने जीवन के संस्मरण प्रस्तुत किये हैं।
यात्रा-वृत्तान्त- पैरो में पंख बॉंधकर आैैर उड़ते चल
जीवनी- कार्ल मार्क्स, जयप्रकाश नारायण, महाराणा प्रताप सिंह
नाटक- अम्बपाली, सीता की मॉं, राम राजय
सम्पादन - बालक अरुण भारत युवक, किसान मित्र, कर्मवीर, कैदी, जनता, हिमालय, नयी धारा,(चुन्नू-मून्नू)
अादि। इसके अतिरिक्त 'विद्यापति की पदावली' एवं 'बिहारी सतसई' आपकी अन्य उललेखनीय रचनाऍं है।
भाषा-शैली- बेनीपुरी जी की भाशा-शैली नितान्त मौलिक है। इनकी भाषा व्यावहारिक है और शब्द-चयन चमत्कारिक है। भाव, प्रसंग एवं विषय के अनुयप तत्सम, तद्भव, देशज, उर्दू, फारसी आदि शब्दों का ये ऐसा सटीक सप्रयोग करते हैं कि पाठक विस्मय में पड़ जाता है। इसीलिए इन्हें 'शब्दाें का जादूगर' भी कहा जाता है। मुहावरे एवं कहावतों का प्रयोग भी इन्होंने किया है। लाक्षाणिकता, व्यंग्यात्मकता, ध्वनयात्मकता, सौष्ठव, प्रतीकात्मकता एवं आलंकारिकता के कारण इनकी भाषा में अद्भुत लालित्य, प्रवाह, अर्थ-गाम्भीर्य उत्पन्न हु के आ है। छोटे-छोटे वाक्य गहरी अर्थाभिव्यक्ति के कारण बहुत तीखी चोट करते हैं।
इनकी रचनाओं में विषय के अनुरूप
- वर्णनात्मक
- भावात्मक
- आलोचनात्मक
- प्रतीकात्मक
- आलंकारिक
- वर्यग्यात्मक
- चित्रात्मक शैलियों दर्शन होते हैं।
- सरल
- बोधगम्य
- प्रवाहयुक्त खड़ीबोली।
लेखक- रामवृक्ष बेनीपुरी जी शुक्लोत्तर-युग के लेखक है।
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जवाब देंहटाएंजय हिंद (I know Hindi also.)
Hi are you a computer??
हटाएंHindi is my favourite subject
जवाब देंहटाएंI love hindi..
हिन्दी
जवाब देंहटाएंi love hindi my favorit subject
जवाब देंहटाएंEsme bhot words mistake hai
जवाब देंहटाएंM
Janam to thik kr lete khi kuch khinh kuch
जवाब देंहटाएंHah janam wrong hai
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंMany mistakes . But helpful
जवाब देंहटाएंबहुत ही सूंदर और ज्ञानवर्धक
जवाब देंहटाएंBron not satisfied and wrong
जवाब देंहटाएंPokkangada suni punda magaalae
जवाब देंहटाएं,theyvidya kuthi punda
I love hindi math or science subject
जवाब देंहटाएंThankyou
जवाब देंहटाएं1899 h janam
जवाब देंहटाएंTime pas
जवाब देंहटाएंH