जयप्रकाश भारती
जयप्रकाश भारती
(सन् 1936-2005 ई.)
भारती जी ने बी. एस-सी. तक की शिक्षा मेरठ में ही पूरी की। छात्र - जीवन में इन्होंने अपने पिता को अनेक प्रकार की सामजिक गतिविधियों में संलग्न देखा, अत: स्वाभाविक रूप से इन पर भी अपने पिता का व्यापक प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप प्रयप्रकाश जी ने भी समाजसेवी संस्थाओं में प्रमुख रूप से भाग लेना आरम्भ का दिया। साक्षरता के प्रसार में इन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया ता अनेक वर्षों तक मेरठ में 'नि:शुल्क रात्रि पाठशाला' का संचालन किया। 69 वर्ष की आयु में 5 फरवरी 2005 को इनका देहवसान हो गया।
सम्पादन के क्षेत्र में इनकी विशेष रुचि रही। इन्होंने 'सम्पादन-कला-विशारद' की उपाधि प्राप्त करके मेरठ से प्रकाशित 'दैनिक प्रभाव' तथा दिल्ली से प्रकाशित 'नवभारत टाइम्स' में पत्रकारिता का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। ये अनेक वर्षों तक दिलली से प्रकाशित 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के सह-सम्पादक भी रहे। इन्होंने प्रख्यात बाल-पत्रिका 'नन्दन' कें सम्पादक-पद को नवम्बर 2004 तक सुशोभित करते हुए 31 वर्षों तक इनका पत्रिका का सम्पादन किया।
अनवरत साहित्य-साधना में संलग्न रहकर इन्होंन सौ से भी अधिकपुस्तों का सम्पादन और सृजन किया है। इनके साहित्यिक जीवन का प्रारम्ीा पत्रकारिता के क्षेत्र में भारती जी ने पर्याप्त प्रशिक्षण ओर व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया। बालकों एवं किशोंरों के ज्ञानवर्द्धक हेतु इन्होंने नैतिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों पर लेखनी चलाकर बाल-साहित्य को बहुुत समृद्ध बनाया। इनको विज्ञान-विषयक साहित्य के प्रणेता के रूप में स्वीकार किया जाता है।
कृतियॉं-
- हिमालय की पुकार
- अनन्त आकाश
- अथाह सागर
- विज्ञान की विभूतियॉं
- देश हमारा-देश हमारा
- चलो, चॉंद पर चलें
- सरदार भगतसिंह
- हमारे गौरव के प्रतीक
- उनका बचपन यूँ बीता
- ऐसे थे हमारे बापू
- लोकमान्य तिलक
- बर्फ की गुडि़या
- अस्त्र-शस्त्र ' अादिम युग से अणु युग तक
- भारत का संविधान
- संयुक्त राष्ट्र संघ
- दुनिया रंग-बिरंगी
भाषा-शैली- भारती जी अनेक शैली है।
भाषा- भारती जी ने अधिकाशंत: बाल-साहित्य की रचना की है, उत: इनकी रचनाओं की भाषा स्वाभाविक रूप से सरल है। अपनी वैज्ञानिक विषयों से सम्बन्धित रचनाओं में इन्होंने विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग किया है। शैैैष स्थानों पर सरल साहित्यिक हिन्दी को महत्व दिया है।
शैली-
- वर्णनात्मक शैली
- चित्रात्मक शैली
- भावात्मक शैली
हिन्दी-साहित्य में स्थान-
जयप्रकाश भारती मुख्यत: बाल-साहित्य एवं वैज्ञानिक लेखों के क्षेत्र में प्रसिद्ध हुए है, फिर भी इन्होंने लेख, कहानियॉं एवं रिपोर्ताज आदि अन्य साहित्यिक क्षेत्रों में भी हिन्दी-साहित्य को सम्पन्न किया है।
सही लाइन
जवाब देंहटाएंThank
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जवाब देंहटाएंAthah sagar kis vidha ki rachna hai
जवाब देंहटाएंAlochana
हटाएंOk
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